आज फिर जीवन
हर पुराने सालों की तरह
एक साल और
पुराना हो गया।
पुराने साल को
खूँटी पर टाँग
नये साल को
नई कमीज़ की तरह
पहन लिया है।
दूर बैठकर देखता हूँ
खूँटी पर टँगी
कमीज़ की तरह
पुराने साल को
जिसके कुछ बटन
टूटे हुए हैं
आपसी भाईचारे के
सिलाई खुल गई है
दिलों के बीच की
और जगह जगह पर
दाग़ और गहरे हो गये हैं
ख़ून के।
नये साल की नई कमीज़ में
रंग बिरंगे बटन लगे हुए हैं
उम्मीदों के,
नएपन की खुशबू है,
जे़ब भी कुछ बडा है
नये खूबसूरत सपनों के लिए।
यह पुरानी कमीज़ की तरह
आधी आस्तिन वाली नहीं है,
दुनिया भर की उम्मीदों के लिए
पूरी आस्तिन वाली है।
आज नए साल की
नई कमीज़ को पहन
इठलाते हुए घूम रहा हूँ
नई उम्मीदों के साथ।
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