आप सभी लोगों को दीपावली की अनन्त हार्दिक शुभकामनाऍं
Monday, October 27, 2008
Monday, October 13, 2008
किसी दिन
आज का दिन भी
ढल गया
फिर रात
गहराने लगी है
इसके बाद सुबह होगी
वह भी धीरे-धीरे
दोपहर, शाम और रात में
बदल जाएगी
इसी तरह
दिन पर दिन
कैलेण्डर पर तारीखें
बदलती रहेंगी
इन्हीं में से
कोई एक
मेरी अंतिम तारीख होगी
और दीवार पर मैं
एक तस्वीर बनकर
टंग जाऊँगा
आगे की
सभी तारीखों के लिए।
.......................................
ढल गया
फिर रात
गहराने लगी है
इसके बाद सुबह होगी
वह भी धीरे-धीरे
दोपहर, शाम और रात में
बदल जाएगी
इसी तरह
दिन पर दिन
कैलेण्डर पर तारीखें
बदलती रहेंगी
इन्हीं में से
कोई एक
मेरी अंतिम तारीख होगी
और दीवार पर मैं
एक तस्वीर बनकर
टंग जाऊँगा
आगे की
सभी तारीखों के लिए।
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Wednesday, October 1, 2008
ईद मुबारक़
ईद मुबारक़
हर सिम्त से आती सदा - ईद मुबारक
चलती हुई कहती हवा - ईद मुबारक।
मंदिर के कलश ने कहा हँसकर मीनार से
कौन करे हमको ज़ुदा - ईद मुबारक।
आज सुबह आरती अजान से मिली
परमात्मा कहता है ख़ुदा से - ईद मुबारक।
रमजान की पाकीज़गी नवरात्रि से कम नही
लीजिए नवरात्रि की दुआ - ईद मुबारक।
दीपावली पे खान ने दी मुझको बधाई
हमने गले लगकर कहा - ईद मुबारक।
चलती हुई कहती हवा - ईद मुबारक।
मंदिर के कलश ने कहा हँसकर मीनार से
कौन करे हमको ज़ुदा - ईद मुबारक।
आज सुबह आरती अजान से मिली
परमात्मा कहता है ख़ुदा से - ईद मुबारक।
रमजान की पाकीज़गी नवरात्रि से कम नही
लीजिए नवरात्रि की दुआ - ईद मुबारक।
दीपावली पे खान ने दी मुझको बधाई
हमने गले लगकर कहा - ईद मुबारक।
यह रचना श्री मोहन सोनी जी की है, जिसे कि कुछ बदलाव कर आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ। यदि मोहन जी इसे देखें तो उनकी बिना इज़ाजत यहॉं प्रस्तुत करने के लिए वे मुझे क्षमा करेंगे।
छायाचित्र - गुगल साभार
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