
ईद मुबारक़
हर सिम्त से आती सदा - ईद मुबारक
चलती हुई कहती हवा - ईद मुबारक।
मंदिर के कलश ने कहा हँसकर मीनार से
कौन करे हमको ज़ुदा - ईद मुबारक।
आज सुबह आरती अजान से मिली
परमात्मा कहता है ख़ुदा से - ईद मुबारक।
रमजान की पाकीज़गी नवरात्रि से कम नही
लीजिए नवरात्रि की दुआ - ईद मुबारक।
दीपावली पे खान ने दी मुझको बधाई
हमने गले लगकर कहा - ईद मुबारक।
यह रचना श्री मोहन सोनी जी की है, जिसे कि कुछ बदलाव कर आपके लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ। यदि मोहन जी इसे देखें तो उनकी बिना इज़ाजत यहॉं प्रस्तुत करने के लिए वे मुझे क्षमा करेंगे।
छायाचित्र - गुगल साभार