Wednesday, October 1, 2008

ईद मुबारक़


ईद मुबारक़


हर सि‍म्‍त से आती सदा - ईद मुबारक
चलती हुई कहती हवा - ईद मुबारक।

मंदि‍र के कलश ने कहा हँसकर मीनार से
कौन करे हमको ज़ुदा - ईद मुबारक।

आज सुबह आरती अजान से मि‍ली
परमात्‍मा कहता है ख़ुदा से - ईद मुबारक।

रमजान की पाकीज़गी नवरात्रि‍ से कम नही
लीजि‍ए नवरात्रि‍ की दुआ - ईद मुबारक।

दीपावली पे खान ने दी मुझको बधाई
हमने गले लगकर कहा - ईद मुबारक।


यह रचना श्री मोहन सोनी जी की है, जि‍से कि‍ कुछ बदलाव कर आपके लि‍ए प्रस्‍तुत कर रहा हूँ। यदि‍ मोहन जी इसे देखें तो उनकी बि‍ना इज़ाजत यहॉं प्रस्‍तुत करने के लि‍ए वे मुझे क्षमा करेंगे।
छायाचि‍त्र - गुगल साभार

6 comments:

कुश said...

ईद मुबारक।

seema gupta said...

रमजान की पाकीज़गी नवरात्रि‍ से कम नही
लीजि‍ए नवरात्रि‍ की दुआ - ईद मुबारक।

दीपावली पे खान ने दी मुझको बधाई
हमने गले लगकर कहा - ईद मुबारक।
'bhut sunder bhaechare kee meesal'

regards

Udan Tashtari said...

ईद मुबारक!!

नवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनाऐं.

डॉ .अनुराग said...

मंदि‍र के कलश ने कहा हँसकर मीनार से
कौन करे हमको ज़ुदा - ईद मुबारक।

bahut khoob......

योगेन्द्र मौदगिल said...

मोहन सोनी जी को उनकी कविता के लिये और आपको इस प्रस्तुति के बधाई
लेकिन मेरे भाई
बदलाव से पहले सोनी जी से इजाजत ले लेते तो मेरे खयाल से अच्छा रहता

nisha said...

subhaan allah.....kya misal dee hai ...waah waah...irshaad
mohanji ko mubaarakbaad...aur apko bhi saath saath